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Books of Ramesh Chandra Gupt

प्रोफेसर रमेश चंद्र गुप्त विश्व के 2 प्रतिशत उच्च वैज्ञानिकों की श्रेणी में रहने का गौरव प्राप्त है जो अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिर्वसिटी द्वारा 2018 में प्रकाशित सूची में अंकित है। आप की संपूर्ण शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हुयी और उसी विश्वविद्यालय मे 42 वर्ष अध्यापन पश्चात् 2010 में विभागाध्यक्ष पद से सेवानिवितहो कर पुस्तक लेखन कार्य से संलग्न हो गये हैं।

आप ने वर्ष 1966 में स्नातक, वर्ष 1968 में स्नातकोत्तर तथा वर्ष 1975 में डाक्टरेट उपाधि धातुकी अभियांत्रिकी विषय मे प्राप्त की । वैज्ञानिक रूचि के कारण आप अध्यापन के साथ शोध कार्यो मे अनवरत संलग्न रहे तथा अपने कार्यकाल मे अनेको तकनीकी विधियों का विकास करते हुये कई विद्यार्थीयों को डाक्टरेट उपाधि हेतु उनका मार्ग दर्शन किया । आपके अब तक 135 शोध पत्र देश विदेश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं मे प्रकाशित हो चुके हैं। विगत 10 वर्षो मे आप की लिखी 3 पुस्तके भारतीय विश्वविद्यालयों के धातुकीय अभियांत्रिकी पाठ्यक्रम में सम्मिलित हो चुकी हैं साथ ही 2 पुस्तकें शोधार्थीयों को योगदान दे रही हैं। 2016 मे लंडन से प्रकाशित एक 3000 पृष्ठों वाली वृहतपुस्तक में एक अंश आपका भी है जो आपकी भूमंडलीय छवि को दर्शाता है। आप भारत के अलावा कई देशों (ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, जापान,  फ्रांस, सिंगापुर व  सीरिया) मे भ्रमण कर व्याख्यान दे चुके हैं। आप देश विदेश की कई समितियों मे विभिन्न पदों पर अपनी भूमिका का निर्वहन कर चुके हैं जिसमे भारतवर्ष के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में मनोनीत सदस्य, ओडीशा प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रक कार्यालय मे मनोनीत सदस्य, कई चयन समितियों के नामित सदस्य आदि मुख्य हैं।

यद्यपि आप हिन्दी भाषी हैं परन्तु आपकी संपूर्ण शिक्षा व कार्यक्षेत्र का माध्यम अंग्रेजी भाषा मे रहना एक अनिवार्यता थी और विगत 55 वर्षो से अंग्रेजी मे ही लिखते व बोलते रहना बाध्यता थी। इस दीर्ध अंतराल के पश्चात् हिन्दी में आपका यह प्रयास कैसा है इसका आकलन पाठक ही कर सकते हैं।  



 


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