
Books of Shri Ajay Chandra
"तेरे बिना अधूरे हम" कविता के माध्यम से श्री अजय चंद्रा ने अपनी रचनात्मक यात्रा की शुरुआत की है। यह उनकी पहली कविता है, जिसमें उन्होंने गहरे भावनात्मक अनुभवों और मानवीय संवेदनाओं को अभिव्यक्त किया है। उनकी लेखनी में सरलता और गहराई दोनों ही झलकती हैं, जो पाठकों के हृदय को छू लेती हैं।
श्री अजय चंद्रा का जन्म छत्तीसगढ़ राज्य के सक्ती जिले के जैजैपुर क्षेत्र में स्थित एक छोटे से गाँव अकलसरा में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी इसी गाँव में संपन्न हुई। ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े अजय चंद्रा ने जीवन के साधारण लेकिन महत्वपूर्ण पहलुओं को नज़दीक से देखा और महसूस किया।
वर्तमान में वे रायगढ़ जिले में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। अपनी व्यस्त दिनचर्या के बावजूद वे साहित्य के प्रति अपने प्रेम को जीवित रखते हुए समय-समय पर कविताएँ लिखते हैं। शिक्षण के क्षेत्र में बच्चों को ज्ञान प्रदान करने के साथ-साथ वे अपनी संवेदनशील भावनाओं को शब्दों में ढालकर समाज के सामने रखते हैं।
उनकी पहली कविता "तेरे बिना अधूरे हम" केवल एक भावनात्मक अभिव्यक्ति ही नहीं, बल्कि प्रेम और जुड़ाव की अनुभूति का सार है।