Books Details

book
₹ 299
  • Delivery worldwide
  • Status: In Stock

Vidyalaya Ki Safalta Ke Sutra

  • book
    Writen byAjay Kumar Pandit
  • Book TitleVidyalaya Ki Safalta Ke Sutra

 

Book By AJAY KUMAR PANDIT

Details :   

ISBN: 978-81-977045-3-6

Publisher - Authors Tree Publishing

Pages - 176, Language - Hindi

Price  - Rs.399/-  Rs.299/- Only + Shipping Extra

(Order Now: Paperback)

Category - 

Delivery Time - 6 to 9 working days

 Order Here

       

------------------------------------------

इस पुस्तक का विचार कैसे आया:
मैं विगत 25 वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सेवा दे रहा हूँ। अनेक विद्यालयों को नजदीक से देखने का मौका मिला है। कुछ को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश की स्थिति खराब (बद से बदतर) मिली।
सरकारी विद्यालयों की बात की जाए तो इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक नहीं है। अधिकतर शिक्षक नहीं पढ़ाने को अच्छा मानते हैं। पठन-पाठन को छोड़कर कार्यालय अथवा पदाधिकारी का चक्कर लगाने वाले शिक्षक अन्य शिक्षकों के नेतृत्वकर्ता होते हैं। वे छुट्टियों पर ज्यादा ध्यान देते हैं। छुट्टी और छूट के लिए वे प्रधान शिक्षक से भी लड़ जाते हैं। अधिकतर शिक्षकों के बीच मनमुटाव रहता है। उन्हें पद की गरिमा के बारे में सोचने की फुर्सत नहीं है। प्रधान शिक्षक समुदाय से कटे रहते हैं। उनके पास विजन का अभाव है।
प्राइवेट विद्यालयों की बात की जाए तो वहाँ शिक्षक स्ट्रेस में रहते हैं। वहाँ पठन-पाठन से ज्यादा दिखावा अत्यधिक है। मनमाने ढंग से किताब के नाम पर, ड्रेस के नाम पर और री-एडमिशन के नाम पर बच्चों के माता-पिता का दोहन किया जाता है।
कुल मिलाकर दोनों ही तरह के विद्यालय चाहे सरकारी हो या प्राइवेट,अधिकांश विद्यालय की स्थिति अच्छी नहीं है। यदि इन विद्यालयों को आदर्श रूप में लाने की कोशिश की जाए तो शिक्षा जगत में आमूल-चूल परिवर्तन हो सकता है तथा हमारा देश और समाज प्रगति की उड़ान भर सकता है। क्योंकि कोई भी देश हो,समाज हो या फिर कोई भी परिवार उसके केंद्र में बच्चा ही होता है और उस बच्चे को एक अच्छा नागरिक बनाने की जिम्मेदारी विद्यालय के ऊपर होती है। शिक्षक जो अपनी जिंदगी का बहुमूल्य हिस्सा विद्यालय में बिताते हैं, वे सेवानिवृत होने के बाद गुमनामी के अंधेरे में चले जाते हैं। उन्हें सामाजिक स्वीकार्यता और यथोचित सम्मान की जरूरत है।
इन सवालों और समस्याओं का ज्वार-भाटा मेरे मस्तिष्क में अक्सर उठते रहता था। इसी दौरान मुझे अपने शहर के स्थानीय माइंड कोच श्री राजेश राय से मिलने का मौका मिला। वे बच्चे और बड़े हर तरह के आदमी को ट्रेनिंग देते हैं। 'विद्यालय की स्थिति में सुधार और शिक्षकों को यथोचित सम्मान' वाले  मेरे मनोभावों को उन्होंने अच्छी तरह पढ़ लिया। इसके बाद उन्होंने मुझे अपने अनुभवों को शब्द-रुप में ढालने की सलाह दी। इस तरह इस पुस्तक को लिखने का विचार मेरे मन में आया जिसे मैं सस्नेह आप सबको समर्पित कर रहा हूँ।

इस पुस्तक का उद्देश्य :
हर विद्यालय को आदर्श रूप में स्थापित करने में मदद करना
तथा प्रत्येक शिक्षक और प्रधानाध्यापक को अपनी विरासत निर्माण करने में उनकी सहायता करना
ताकि इस दुनिया से जाने के बाद भी लोगों के दिलों में उनके प्रति इज्जत की भावना बनी रहे।

About Author

Ajay Kumar Pandit

विद्यालय की सफलता के सूत्र नामक पुस्तक के लेखक श्री अजय कुमार पंडित है वह विज्ञान विषय से स्नातक और शिक्षा विषय से स्नातकोत्तर हैं। वे बिहार राज्य के पूर्णियां जिले के निवासी हैं। उनके माता-पिता कम पढ़े-लिखे हैं। गांव और गरीबी से उनका करीब का रिश्ता है।

वे विगत 25 वर्षों से शिक्षा क्षेत्र में शिक्षण कार्य करते आ रहे हैं। वे समाज के गरीब और होनहार बच्चे को शिक्षा के लिए अतिरिक्त समय देते हैं। उनके द्वारा पढ़ाए गए सैकड़ों बच्चे आज सरकारी नौकरी में अपनी सेवा दे रहे हैं। असहाय बुजुर्गों और विधवाओं के प्रति उनके मन में श्रद्धा और दया का भाव रहता है। इसलिए इन लोगों के बीच वे समय-समय पर अन्नदान और वस्त्रदान करते रहते हैं।

वे 'स्ट्रैंथेनिंग द रूट ऑफ़ इंडिया' मिशन पर काम कर रहे हैं। उनका मानना है कि राष्ट्र एक फलदाई वृक्ष के समान है, जिसकी जड़ बच्चे हैं। देश की दिशा और दशा बदलने वाले महापुरुष इस वृक्ष के फल  के समान होते हैं। यदि जड़ मजबूत न हो तो वृक्ष में अच्छे फल नहीं उग सकते। इसीलिए वे राष्ट्र की जड़ यानि बच्चों को शिक्षा देकर मजबूत करना चाहते हैं।