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Tere bina Adhure Hum
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Written by Shri Ajay Chandra
- Book TitleTere bina Adhure Hum
ISBN:978-93-48104-98-4
Publisher - Authors Tree Publishing
Pages - 80, Language - HINDI
Price - Rs.149/- Only
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(Order Now: Paperback)
Category - Self-Help/Poetry
Delivery Time - 6 to 9 working days
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प्रेम एक ऐसी भावना है, जो न केवल हमारे हृदय को छूती है बल्कि हमारी आत्मा तक अपनी छाप छोड़ जाती है। यह हमें जोड़ता है, संवारता है, और कभी-कभी टूटकर बिखरने का एहसास भी कराता है। "तेरे बिना अधूरे हम" इसी प्रेम की जटिलता, उसकी कोमलता और अधूरेपन की कविता है। यह केवल दो लोगों की प्रेम कथा नहीं है, बल्कि उन अनकहे एहसासों की यात्रा है, जिन्हें हर किसी ने कभी न कभी महसूस किया होगा।
इस पुस्तक में प्रेम के विभिन्न रंगों को उकेरा गया है—वह मासूमियत, जो पहले प्यार में होती है; वह बेचैनी, जो जुदाई में महसूस होती है; और वह उम्मीद, जो हर टूटे रिश्ते में फिर से जुड़ने की चाह रखती है। कविता के पात्र केवल कल्पना नहीं हैं, बल्कि वे हर उस व्यक्ति का प्रतिबिंब हैं, जिसने कभी सच्चा प्रेम किया है।
"तेरे बिना अधूरे हम" न केवल प्रेम की मधुरता को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि जब प्रेम अधूरा रह जाता है, तो वह जीवन में किस तरह की खाली जगह छोड़ जाता है। इस कविता में आप उन भावनाओं को महसूस करेंगे, जिन्हें शब्दों में बांध पाना कठिन होता है—वह इंतजार, वह दर्द, और वह खुशी, जब अधूरे रिश्ते पूरे होने की उम्मीद जगाती है।
कवि ने इस कविता में भावनाओं की बारीकियों को बड़ी संवेदनशीलता से चित्रित किया है। हर संवाद, हर स्थिति आपको अपने जीवन की किसी न किसी याद से जोड़ देगा। यह पुस्तक न केवल प्रेमियों के लिए है, बल्कि उन सभी के लिए भी है, जो रिश्तों की अहमियत को समझते हैं और मानते हैं कि अधूरेपन में भी एक खूबसूरती छिपी होती है।
आशा है कि यह कविता आपके हृदय को छूएगी, आपको सोचने पर मजबूर करेगी, और आपको यह एहसास दिलाएगी कि कभी-कभी अधूरे रिश्ते भी अपनी कहानी पूरी कर लेते हैं।
About Author

Shri Ajay Chandra
"तेरे बिना अधूरे हम" कविता के माध्यम से श्री अजय चंद्रा ने अपनी रचनात्मक यात्रा की शुरुआत की है। यह उनकी पहली कविता है, जिसमें उन्होंने गहरे भावनात्मक अनुभवों और मानवीय संवेदनाओं को अभिव्यक्त किया है। उनकी लेखनी में सरलता और गहराई दोनों ही झलकती हैं, जो पाठकों के हृदय को छू लेती हैं।
श्री अजय चंद्रा का जन्म छत्तीसगढ़ राज्य के सक्ती जिले के जैजैपुर क्षेत्र में स्थित एक छोटे से गाँव अकलसरा में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी इसी गाँव में संपन्न हुई। ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े अजय चंद्रा ने जीवन के साधारण लेकिन महत्वपूर्ण पहलुओं को नज़दीक से देखा और महसूस किया।
वर्तमान में वे रायगढ़ जिले में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। अपनी व्यस्त दिनचर्या के बावजूद वे साहित्य के प्रति अपने प्रेम को जीवित रखते हुए समय-समय पर कविताएँ लिखते हैं। शिक्षण के क्षेत्र में बच्चों को ज्ञान प्रदान करने के साथ-साथ वे अपनी संवेदनशील भावनाओं को शब्दों में ढालकर समाज के सामने रखते हैं।
उनकी पहली कविता "तेरे बिना अधूरे हम" केवल एक भावनात्मक अभिव्यक्ति ही नहीं, बल्कि प्रेम और जुड़ाव की अनुभूति का सार है।